आज का काव्य छंद के अन्य नियमों को तो छोडिए, सामान्य रूप से मात्रात्मक नियम तक से दूर हो गया है, ऐसे में हमारे पारंपरिक छंदों के ज्ञान के प्रचार-प्रसार की अत्यावश्यकता है, इस कार्य में यह समूह एक अच्छी भूमिका निभाए, यही इश्वर से कामना है!
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आज का काव्य छंद के अन्य नियमों को तो छोडिए, सामान्य रूप से मात्रात्मक नियम तक से दूर हो गया है, ऐसे में हमारे पारंपरिक छंदों के ज्ञान के प्रचार-प्रसार की अत्यावश्यकता है, इस कार्य में यह समूह एक अच्छी भूमिका निभाए, यही इश्वर से कामना है!